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WELCOME TO SRI SATYA NARAYAN SANSKRIT COLLEGE

तीरभुक्ति या तिरहुत प्राचीन काल से ही विद्या का केन्द्र रहा है। इसी क्रम में दरभंगा प्रमण्डल के वर्तमान में मधुबनी मण्डलान्तर्गत विश्वविद्यालय मुख्यालय से लगभग 80 कि॰मी॰ उत्तर राष्ट्रीय राजमार्ग 104 मुख्य मार्ग के समीप मिथिला के पावन धरती पर सुदूरवर्त्ती ग्रामीण क्षेत्र में किनवारवंशोदभव श्री सत्यनारायण सिंह के द्वारा विशाल सरोवर के दक्षिण भूभाग पर सन्‌ 1947 ई॰ में नारायण संस्कृत पाठशाला की स्थापना की गई। जिस का संचालन पं॰ श्री जगदीश प्रतिहस्त एवं सहदेव झा के सानिध्य में संस्कृत पाठशाला दिनानुदिन अभिवृद्धि की ओर अग्रसर होता गया। साथ ही स्थापना काल से साहित्य, व्याकरण, न्याय विषयों का आचार्य पर्यन्त अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था थी तथा यहाँ से शिक्षा ग्रहण किए अनेक विद्वान दिग्‌-दिगन्तर को अपनी विद्वता से सुशोभित किए और कर रहे हैं। जिनमें प्रमुख हैं- स्व॰ डॉ॰ उदय कान्त झा, साहित्य विभागाध्यक्ष, का॰ सिं॰ द॰ संस्कृत विश्ववि॰, दरभंगा, डॉ॰ सुखेश्वर झा, टी॰ एन॰ वी॰ महावि॰, भागलपुर, डॉ॰ उपेन्द्र झा, प्राचार्य, संस्कृत महावि॰, मटिहानी, नेपाल, श्री शिवशंकर झा, प्रधानाचार्य, संस्कृत विद्यालय, हरसुवार, स्व॰ परमेश्वर झा, प्राध्यापक, स्व॰ प्रो॰ नमोनारायण प्रतिहस्त संस्कृत महावि॰, जयपुर और अनेक लब्धख्याति विद्वान देश-विदेश में अपनी धवलकीर्ति फैलाकर इस महाविद्यालय के गौरव को बढ़ाते हैं।